गुरुवार, 7 फ़रवरी 2013

कितना अच्छा किया था
जो उस दिन मैंने अपने हाथ में
तुम्हारी जगह अपने ही नाम का टैटू गुदवा लिया था.....
तुम चाहते थे मैं तुम्हारा नाम लिखवाऊं....
और कायदा भी वही है न.......
मगर मैं भी तो अजीब हूँ ही......
तुमने कहा मुझे पता है तुम क्या लिखवाओगी..
मैंने पूछा अच्छा बताओ तो????
तुमने प्यार भरी आवाज़ में मुस्कुरा कर कहा,नहीं बताऊंगा...
वो जो मेरे दिल में है......
बस मैंने भी अपना ही नाम लिखवा लिया....
कि मैं ही तो हूँ तुम्हारे दिल में :-)

[तुम्हारी वो सूरत अब भी याद है मुझे,तुम्हारी उस सूरत का टैटू मेरे ज़हन में बन गया था उस रोज.. ]

अच्छा सोचो,
उस रोज गर तुम्हारा नाम गुदवा लेती
तो आज तुम्हारे न होने पर
वो नाम मैं कहाँ छुपाती.......
तुम्हारे दिए
हज़ारों ज़ख्मों की तरह उसको हटाने को क्या एक और ज़ख्म बनाती.......??